मैं नहीं हूँ मोहन दास , मैंने कभी कहीं से बी.ए. पास नहीं किया ।
दोस्तों ! मैं हिंदी की एक कहानी ' मोहन दास' पर अपना दृष्टिकोण आपके सामने रखना चाहता हूँ। वैसे रचनाकार अपनी रचना में हर एक बात का संयोजन बहुत सोच-समझकर करता है और शीर्षक का कुछ ज्यादा ही; अतः आप ही कहानी पढ़कर तय कीजिएगा कि लेखक ने कहानी के नायक का नाम 'मोहन दास' ही क्यों चुना है ? क्या इस कहानी का कोई संबंध गाँधी जी या गाँधीवाद से भी बनता है ?